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चाह

 तन्हा हु पर कमजोर नही

चुप हु पर खामोश नही

चाहिए कोई ऐसा जो इस चूपी को सुन सके 

चाहिए कोई ऐसा जो इस  गम को सुन सके

चाहिए कोई ऐसा जो  हाथ आखरी सांस तक थाम सके

चाहिए कोई ऐसा जो  मेरे  साथ हर कदम चल सके

चाहिए कोई ऐसा जो मेरे  अनकहे शब्द को आवाज़ दे सके

चाहिए कोई ऐसा  जो बिना छुए ही रुह को  छू जाए

चाहिए कोई ऐसा जो अपनी आखरी सांस तक मेरा इंतज़ार कर सके

चाहिए कोई ऐसा जो कहे सब कुछ मेरा सिर्फ तुम

चाहिए कोई ऐसा जो मेरे लिए खुद को बदले

चाहिए कोई ऐसा जो मुजे खुद से पहले रखे

चाहिए कोई ऐसा जो मेरे जिस्म से ज्यादा मेरी रूह को चाहे

चाहिए कोई ऐसा ........

-Mehta Vidhi

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